अब नहीं बच पायेंगे आरोपी, उत्तराखंड पुलिस ने भी यूपी पुलिस की तरह किया आरोपी को ढेर।

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अब नहीं बच पायेंगे आरोपी, उत्तराखंड पुलिस ने भी यूपी पुलिस की तरह किया आरोपी को ढेर।

अब उत्तराखंड पुलिस ने भी यूपी पुलिस की तर्ज पर अपराधियों से निपटना शुरू कर दिया है। जहाँ उधम सिंह नगर के हाई प्रोफाइल कार सेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की हत्याकांड के एक मुख्य आरोपी को पुलिस मुठभेड़ में ढेर कर दिया है। जिसके बाद बाबा तरसेम सिंह के समर्थक पुलिस की प्रशंसा करते नजर आये हैं। बाबा तरसेम सिंह के समर्थक ने बाबा को संत पुरुष की संज्ञा दी है।

हरदयाल सिंह ( हाई कोर्ट से नॉमिनेट नानकमत्ता कमेटी के पूर्व सदस्य ) ने बताया कि बाबा तरसेम सिंह की जिस तरह से हत्या की गई बहुत ही निंदनीय और बहुत ही गलत हुआ है हमें भी और आम आदमी संगत को बहुत दुख पहुंचा । आपने देखा कि जब उनका संस्कार, भोग हुआ तथा तेहरवी भी हुई उस समय पर कितना संगत का हज्जुम था और कितनी बड़ी हस्तियां वहां पर पहुंची । इससे यही प्रतीत होता है कि बहुत ही अच्छे स्वभाव ओर अच्छा कार्य कर रहे थे ।

पुलिस की कार्रवाई पर उन्होंने बताया कि यह तो तफतीश और पुलिस का विषय है  पुलिस ने जो भी किया बड़ी तत्परता से किया । मुझे पुलिस से उम्मीद है कि पुलिस करवाई सही तरीके से कर रही है । और आगे भी सही तरीके से करेगी । किसी निर्दोष को नहीं फसाएगी । मेरा मानना है कि किसी निर्दोष को फसाना भी नहीं चाहिए । जितनी तत्परता से पुलिस ने कार्य किया वह सराहनीय है पुलिस ने जो एनकाउंटर किया है वह सही किया । पुलिस की कार्यशैली को हम गलत कह ही नहीं सकते ।

उन्होंने बाबा तरसेम सिंह के बारे में बताया कि बाबा तरसेम सिंह बहुत बड़े संत थे क्योंकि वह कार सेवा के डेरे को चलाते थे । वह संगत के हर समाज कार्य में आगे बढ़कर सिख संगत की सेवा करते थे हर तरह हर समय तत्पर रहते थे। गरीब आदमी कोई भी उनके पास जाता था सब की बो सुनते थे । मैं करीब 9 साल पहले गुरुद्वारा साहिब नानकमत्ता साहब का मेंबर रहा हूं मैंने आज तक बाबा तरसेम में कोई ऐसी बात नहीं देखी कि गलत नेचर हो लोग मर्जी चाहे कुछ भी कहते रहे। किसी का मुंह पकड़ नहीं सकते लेकिन कभी मैंने उन्हें गलत काम करते हुए नहीं देखा और जो उनका नेचर बहुत अच्छा था सबसे सबसे मिलते थे ना किसी से भेदभाव और सरल स्वभाव के थे जहां तक मुझे पता है की बाबा तरसेम सिंह जी बचपन से ही कार सेवा में सेवा करते थे और उनकी सेवा को देखते ही बाबा हरबंस सिंह जी ने डेरे का मुखिया बनाया था यह सारा कारोबार बाबा तरसेम सिंह जी देखते थे संस्थाएं, हॉस्पिटल, स्कूल चलाते थे । उन्होंने यह भी बताया कि बाबा तरसेम सिंह ने शादी नहीं की थी वह अकेली ही थे ना ही उनके माता-पिता और ना ही उनके रिश्तेदार थे वह यहां पर रहकर समर्पित थे।