देखिये!.....जब कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय को करना पड़ा अपने ही गढ़ में दो जगह विरोध का सामना!

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एक्सक्लुसिव खबर

काला सच ब्यूरो : जब अपने ही हो जाये बैगाने, तो कसूरवार किसको ठहराया जाये। यह कहावत उत्तराखंड सूबे के कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय पर बिल्कुल सटीक बैठ गई। जब उन्हें अपने ही विधानसभा क्षेत्र (जो उनका गढ़ भी है) में एक नही, बल्कि दो जगह जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ा। जहाँ उनके चाहने वाले उन्हें अपने सिर-आंखों पर बैठाते थे और उनके सम्मान में जमकर नारे लगाते थे। अब वही लोग केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गये कृषि बिल के विरोध में भाजपा विधायक और कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय के इतने बैगाने हो गये, जो अब उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी करने से नही चूक रहे। अब स्थिति यह हो गई है कि अरविंद पांडेय को केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि बिल को लेकर जगह-जगह किसानों का विरोध झेलना पड़ रहा है। कुछ दिन पहले भी कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय को किसानों का विरोध झेलना पड़ा था। अब इस विरोध ने ऐसी रफ्तार पकड़ ली है जो रुकने का नाम ही नही ले रही। अगर कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय किसी कार्यक्रम में शिरकत करने जाते हैं तो उससे पहले ही केंद्र सरकार से खफा किसान कृषि बिल का विरोध कर उनके ही खिलाफ नारेबाजी शुरू कर देते हैं।
अब उनके विरोध के ऐसे ही दो मामले सामने आये हैं। जहां कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय को कृषि बिल के खिलाफ किसानों का जबरदस्त विरोध झेलना पड़ा। इस दौरान किसानों ने उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उनका पुतला भी आग के हवाले कर दिया।

पहला मामला है दिनेशपुर का, जो कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय का ही विधानसभा क्षेत्र है और उनका गढ़ भी माना जाता है। जहां गुरुद्वारे में हजारों किसानों सहित विभिन्न संगठनों के लोगों ने एकत्रित होकर कृषि बिल के विरोध में जबरदस्त ट्रैक्टर रैली निकाली। इस दौरान दिनेशपुर सुभाष चौक पर किसानों ने कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए उनका पुतला आग के हवाले कर दिया। उसके बाद किसानों की ट्रैक्टर रैली गूलरभोज होते हुए गदरपुर पहुँची। इस बीच गूलरभोज स्थित कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय के निवास के सामने पहुँचते ही किसानों ने जमकर हंगामा काटा और कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान उनके आवास के सामने पुलिस प्रशासन कड़ी सुरक्षा के लिये मौजूद था।

इस सम्बंध में गदरपुर विधानसभा के पूर्व विधायक प्रेमानंद महाजन ने कहा कि जब से यह काला कानून पास हुआ है। तभी से ही इसका विरोध चल रहा है। वहीं उन्होंने पंजाब और हरियाणा के किसानों का किसान आंदोलन में नेतृत्व करने के लिये धन्यवाद भी किया। वहीं कहा कि आंदोलन की इसी कड़ी के चलते गदरपुर ब्लॉक में हजारों ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों के साथ किसान रैली निकालकर इस काले कानून का विरोध किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जिन चार व्यक्तियों की कमेटी बनाई है वह चारों ही किसान विरोधी हैं। हमारी लड़ाई आर पार की है और जिसे हम जीतकर ही रहेंगे।

वहीं दूसरा मामला गदरपुर के ग्राम केशवगढ़ का है। यह इलाका भी कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय का गढ़ माना जाता है। जहां मकर सक्रांति के मौके पर चल रहे खिचड़ी भोज कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे की आने की सूचना मिलते ही गांव की महिला किसानों के साथ-साथ बुजुर्ग बच्चों ने कृषि बिल के खिलाफ सत्ता पक्ष के कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय को गांव में आने से रोकने के लिए गांव के प्रवेश द्वार पर रास्ता जाम करके जमकर विरोध प्रदर्शन किया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने महिला किसानों को काफी समझाने का प्रयास किया। लेकिन महिला किसान रास्ते को जामकर बैठे रहे और अरविंद पांडे को गांव में घुसने से रोकने की बात पर डटे रहे।

इस दौरान धरने पर बैठे प्रदर्शनकारी किसान महिलाओं का कहना है कि हमें कैबिनेट मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक अरविंद पांडे से कोई लेना-देना नहीं था। लेकिन उनके द्वारा कुछ लोगो को नकली किसान बनाकर दिल्ली में यह दिखाना चाहा कि उत्तराखंड के सभी किसान कृषि बिल के सपोर्ट में हैं और आंदोलन कर रहे किसानों के साथ नहीं हैं। उनकी इस हरकत के कारण ही गदरपुर के विभिन्न क्षेत्रों में कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे के हर कार्यक्रम का विरोध किया जा रहा है।

कैबिनेट मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक अरविंद पांडे हमारे हैं। इसलिए उन्हें हमारा साथ देना चाहिए था, लेकिन वह हमारे साथ न होकर कृषि बिल के सपोर्ट में हैं। जिन्होंने कुछ लोगों को नकली किसान बनाकर दिल्ली ले जाकर उत्तराखंड के किसानों को बदनाम किया है। इसलिए आगे भी उनके हर कार्यक्रम का विरोध किया जाएगा।

इस दौरान किसानों का विरोध झेल चुके कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडेय ने सबसे पहले समस्त लोगों को मकर सक्रांति की शुभकामनाएं दीं। वहीं विरोध के सम्बंध में पूछने पर उन्होंने कहा कि मेरा कोई विरोध नही है। विरोध करने वाले भी मेरे अपने हैं और मैं भी उनका हूँ। वहीं जो विरोध चल रहा है वो एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, लेकिन मैं किसी का विरोध नही कर रहा हूँ।