मेरी क़लम से.....भारतीय समाज में फैली बच्चों से सम्बन्धित समस्याएं एवं उनका निवारण

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ललिता गंगवार, विद्यार्थी

भारतीय समाज में बच्चों से संबंधित अनेकों समस्याएं जैसे- बाल शोषण, बालश्रम, बाल अपराध और बचपन में ही विद्यालय से निकल जाना इत्यादि व्याप्त मात्रा में मौजूद हैं। भारत देश में यह समस्या इसलिए भी अत्यधिक गम्भीर हो जाती है क्योंकि यहाँ अशिक्षा और बेरोजगारी भी विद्यमान है। वर्तमान भारत की कुल जनसंख्या में 42 प्रतिशत जनसंख्या कम उम्र के बच्चों की होने के कारण इन समस्याओं का निवारण होना अत्यंत आवश्यक है।

पहली यह कि बाल सुधार गृहों में वही बच्चे आते हैं जो पहले या तो विद्यालय छोड़ चुके होते हैं या कहीं श्रमिक के रूप में कार्य कर चुके होते हैं या फिर आपराधिक पृष्ठभूमि के होते हैं। यह बच्चे समाज में पहले ही बहुत उत्पीड़न सह चुके होते हैं और यदि इन्हें बाल सुधार गृहों में उचित वातावरण न मिले तो इनके बिगड़ने की संभावना प्रबल बनी रहती है। बच्चे देश के भविष्य होते हैं और इस कारण इनकी समस्याओं पर त्वरित कार्यवाही करने की आवश्यकता होती है।

एक अधिकारी के रूप में मेरा कर्त्तव्य है कि मैं उन सुधार गृहों का सर्वेक्षण करूं। उनकी वस्तुस्थिति का ठीक जायजा लेकर, जो भी अधिकारी इसके लिए उत्तरदायी हैं उनके विरुद्ध लिखित कार्रवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित करूं। वस्तुतः निलंबन भी ऐसे अधिकारियों के लिये पर्याप्त नहीं है यदि वह दोषी हैं तो इसके लिए कानूनी कार्यवाही की भी अनुशंसा करूं।

वहीं तात्कालिक समस्या के निवारण के पश्चात्‌ मैं यह जानने का भी प्रयास करूं कि इन सुधार गृहों में किन-किन स्थानों पर किस प्रकार के अपराध विद्यमान हैं और इन अपराधों का संबंध किन आपराधिक तत्वों या समूहों से है आदि की पूर्ण जानकारी प्राप्त करूं। इसके लिए मैं स्वयं औचक निरीक्षण करूं और यदि आवश्यकता हो तो अपने अधीनस्थ अधिकारियों को इसकी पूर्ण जानकारी समय सीमा के भीतर प्रस्तुत करने का आदेश दूं और जब समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण बन जाए तो बच्चों के लिए कुछ रचनात्मक कार्यों की योजना एवं क्रियान्वयन को कार्यरूप दूं। बच्चे सहजता से कुछ सीख लेते हैं तो उन्हें जल्दी ही आपराधिक कृत्यों से हटाकर अनुशासित करते हुए शिक्षा के लिए प्रेरित करूं। यदि शिक्षण संस्थाएं वहाँ उपलब्ध नहीं हैं तो तात्कालिक रूप से कुछ अध्यापकों की वहाँ नियुक्ति करके शिक्षा प्रारंभ करने का प्रयास करूं। इस संदर्भ में हर संभव सुविधाएं अपने उच्च अधिकारियों, प्रशासन एवं शासन के माध्यम से उपलब्ध कराने का प्रयास करूं।

(यह अधिकारियों के कर्त्तव्य होने चाहिये)